ग्वालियर में आयुर्वेदिक डॉक्टर को साइबर ठगी: 29 घंटे डिजिटल बंधक, 21 लाख की ठगी

ग्वालियर में आयुर्वेदिक डॉक्टर को साइबर ठगी: 29 घंटे डिजिटल बंधक, 21 लाख की ठगी

City/Gwalior

ग्वालियर में एक चौंकाने वाली साइबर क्राइम की घटना सामने आई है, जहां एक आयुर्वेदिक डॉक्टर को ठगों ने 29 घंटे तक डिजिटल तरीके से बंधक बनाकर 21 लाख रुपये ठग लिए। यह घटना साइबर अपराध की बढ़ती गंभीरता और लोगों की जागरूकता की कमी को उजागर करती है।

घटना की शुरुआत: डर और भ्रम का ताना-बाना

63 वर्षीय डॉ. मुकेश शुक्ला, जो ग्वालियर के हनुमान नगर में रहते हैं और घर से आयुर्वेदिक प्रैक्टिस करते हैं, को 29 नवंबर की सुबह 10:13 बजे एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को एक आईटी कंपनी का प्रतिनिधि बताया और कहा, “आपके नाम पर महालक्ष्मी ट्रांसपोर्टेशन कंपनी चल रही है, जिस पर 9.40 लाख रुपये की देनदारी निकली है।”

डॉक्टर ने जब इस कंपनी से अनजान होने की बात कही, तो कॉल करने वाले ने उनके आधार कार्ड के दुरुपयोग का दावा किया। उन्होंने कहा, “अगर आप दो घंटे के भीतर दिल्ली पुलिस मुख्यालय में शिकायत दर्ज नहीं करते, तो आपको गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”

डॉक्टर को डिजिटल तौर पर बंधक बनाने की प्रक्रिया यहीं से शुरू हुई। ठगों ने उनके डर और तनाव का फायदा उठाकर उन्हें अपनी योजना के जाल में फंसा लिया।

फर्जी पुलिस और सीबीआई का डर दिखाया

डॉक्टर को तुरंत एक नंबर दिया गया, जो कथित तौर पर दिल्ली पुलिस में कार्यरत सब-इंस्पेक्टर अजय शर्मा का था। जब डॉक्टर ने इस नंबर पर संपर्क किया, तो दूसरी तरफ से “सब-इंस्पेक्टर अजय” ने बात की और कहा कि उनके आधार नंबर पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है।

इसके बाद, ठगों ने डॉक्टर को और डराने के लिए वीडियो कॉल किया और फर्जी गिरफ्तारी वारंट और उनका आधार कार्ड दिखाया। ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी प्रवीण सूद बताने वाले व्यक्ति से बात करवाई। उन्होंने कहा, “आपके नाम से करोड़ों रुपये का लेन-देन हो रहा है। अगर आप निर्दोष हैं, तो हम आपकी मदद करेंगे। लेकिन इसके लिए आपको हमारी बताई प्रक्रिया का पालन करना होगा।”

29 घंटे की मानसिक और भावनात्मक यातना

डॉक्टर को वीडियो कॉल के जरिए लगातार “निगरानी” में रखा गया। ठगों ने उन्हें हर पल यह विश्वास दिलाया कि उनकी गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है। डॉक्टर से कहा गया कि वे अपने बैंक खाते से सारे पैसे सीबीआई के “सुरक्षित खाते” में ट्रांसफर कर दें ताकि उनकी निर्दोषता साबित हो सके।

अपने परिवार और प्रतिष्ठा के नुकसान की आशंका से घबराए डॉक्टर ने ठगों की हर बात मान ली। उन्होंने अगले दिन अपने बैंक खाते से 21 लाख रुपये आरटीजीएस के जरिए ठगों के बताए खाते में ट्रांसफर कर दिए।

ठगी का अहसास और पुलिस की शरण

ठगों ने पैसे ट्रांसफर होते ही वीडियो कॉल काट दिया। डॉक्टर को तब एहसास हुआ कि वे ठगी के शिकार हो गए हैं। उन्होंने तुरंत अपने परिचित को इस बारे में बताया, जिसने उन्हें पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी।

डॉक्टर ने हिम्मत जुटाकर ग्वालियर साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। मामले की जांच शुरू हो गई है, और पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि पैसे किन खातों में ट्रांसफर हुए।

साइबर ठगी: आधुनिक अपराध का नया चेहरा

यह घटना साइबर अपराध की गंभीरता को दिखाती है, जिसमें ठग अत्याधुनिक तकनीकों और मनोवैज्ञानिक रणनीतियों का इस्तेमाल कर भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।

कैसे होती है ऐसी ठगी?

  1. फर्जी पहचान: ठग खुद को पुलिस, सीबीआई या अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं।
  2. डिजिटल बंधक बनाना: वीडियो कॉल और जाली दस्तावेज दिखाकर मानसिक दबाव बनाया जाता है।
  3. भावनात्मक शोषण: ठग परिवार, प्रतिष्ठा और कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर पीड़ित से पैसे ऐंठते हैं।

इस घटना से सबक: सावधानी ही सुरक्षा है

इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि किसी भी संदिग्ध कॉल पर बिना जांच-पड़ताल किए भरोसा नहीं करना चाहिए। साइबर ठगी से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी है।

खुद को साइबर ठगी से बचाने के उपाय:

  1. अज्ञात कॉल्स से बचें: किसी अज्ञात नंबर से आए कॉल पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
  2. सरकारी अधिकारियों की पहचान की पुष्टि करें: अगर कोई खुद को अधिकारी बताता है, तो उसकी पहचान की जांच करें।
  3. वीडियो कॉल पर सतर्क रहें: किसी भी वीडियो कॉल पर दिखाए गए दस्तावेजों को असली न मानें।
  4. बैंक डिटेल्स सुरक्षित रखें: किसी अज्ञात व्यक्ति को अपने बैंक खाते की जानकारी न दें।
  5. साइबर क्राइम हेल्पलाइन से संपर्क करें: किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस या साइबर सेल को दें।

ग्वालियर में बढ़ती साइबर ठगी

ग्वालियर में साइबर ठगी के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। अपराधी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।

पुलिस की अपील:

ग्वालियर पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल या गतिविधि की तुरंत सूचना दें। पुलिस ने यह भी कहा है कि किसी भी अज्ञात नंबर पर अपनी जानकारी साझा न करें।

निष्कर्ष: जागरूकता ही बचाव

यह घटना न केवल ग्वालियर बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। ठगों की चालाकी और पीड़ित की मासूमियत इस बात का प्रमाण हैं कि साइबर अपराध से बचने के लिए हमें सतर्क और जागरूक रहना होगा।

डिजिटल युग में जहां तकनीक ने हमारी जिंदगी को आसान बनाया है, वहीं साइबर अपराध ने इसे चुनौतीपूर्ण भी बना दिया है। ऐसे में खुद को सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता और सही समय पर कार्रवाई करना ही सबसे बड़ा हथियार है।

नोट: यह रिपोर्ट दैनिक भास्कर में प्रकाशित जानकारी पर आधारित है। साइबर ठगी के मामलों में सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें।

Author

  • kavita Sharma

    मैं कविता शर्मा एक पेशेवर लेखिका हूँ, जो विभिन्न विषयों पर नवीनतम चर्चाओं और घटनाओं पर लेखन करती हूँ। मेरा लेखन सामाजिक मुद्दों, समसामयिक घटनाओं, और तकनीकी जानकारियों को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत करने पर केंद्रित है। मेरा उद्देश्य है कि मेरे लेखों के माध्यम से पाठकों को ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारी प्राप्त हो, जिससे वे जागरूक और सूचित रह सकें।

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