कविता कपूर एक साधारण लड़की थी, लेकिन उसकी ज़िंदगी में कुछ भी साधारण नहीं था। IIT दिल्ली से ग्रेजुएट होकर, उसने मुंबई में एक प्रतिष्ठित कंपनी, Infosys में असिस्टेंट की नौकरी प्राप्त की थी। उसकी मेहनत और उसकी बुद्धिमत्ता ने उसे जल्दी ही कंपनी में एक सम्मानजनक स्थान दिला दिया था। परंतु एक चीज़ थी जो उसे सबसे अधिक चुनौती देती थी – उसका बॉस, कार्तिक शर्मा।
कार्तिक शर्मा, Stanford यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करके, मुंबई में एक बहुत ही सफल CEO था। उसकी मेहनत और निर्णय लेने की क्षमता ने उसे कंपनी की ऊंचाइयों तक पहुंचाया था। वह गंभीर, कड़क और अपने काम में पूरी तरह से खोया रहने वाला व्यक्ति था। कंपनी के सभी लोग उसकी कड़ी मेहनत और अनुशासन की तारीफ करते थे, लेकिन कोई उसे करीब से जानता नहीं था।
पहली मुलाकात
कविता जब पहली बार ऑफिस आई थी, उसे कार्तिक का नाम ही डराने के लिए काफी था। लेकिन समय के साथ उसने सीखा कि कार्तिक के साथ काम करने का मतलब है हमेशा बेहतर बनने की कोशिश करना। कविता हमेशा समय पर काम पूरा करती थी और उसकी मेहनत कार्तिक को भी प्रभावित करने लगी थी, भले ही उसने कभी इसकी तारीफ न की हो।
एक दिन, कविता को अचानक से एक बड़े प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह प्रोजेक्ट कंपनी के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, और कार्तिक ने इसे व्यक्तिगत रूप से देखा। कार्तिक ने कविता को प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए अपने केबिन में बुलाया। यह उनकी पहली बार अकेले मुलाकात थी।
कविता ने दरवाजा खटखटाया और अंदर प्रवेश किया। कार्तिक ने उसे एक नज़र देखा और कहा, “कविता, यह प्रोजेक्ट हमारी कंपनी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मैं चाहता हूं कि तुम इसे पूरी जिम्मेदारी से संभालो। अगर कोई समस्या हो, तो बेझिझक मुझसे कह सकती हो।”
कविता ने सिर हिलाया और कागजों को उठाकर काम पर लग गई। लेकिन कार्तिक के शब्दों में कुछ था – एक तरह का आत्मविश्वास, जो उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था।
नजदीकियाँ
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, कविता और कार्तिक के बीच की बातचीत बढ़ने लगी। वे दोनों काम को लेकर जितने गंभीर थे, उतने ही सहज भी होने लगे थे। कार्तिक ने कविता की लगन और मेहनत को सराहा और कभी-कभी वे दोनों चाय पर बैठकर काम के अलावा अन्य मुद्दों पर भी बात करने लगे।
कविता को महसूस हुआ कि कार्तिक केवल एक सख्त बॉस नहीं था, बल्कि उसके अंदर एक संवेदनशील और समझदार इंसान भी छिपा था। कार्तिक धीरे-धीरे कविता की ओर आकर्षित होने लगा। वह जब भी उसे देखता, उसे कविता की सादगी और मेहनत के प्रति उसका समर्पण बहुत अच्छा लगता।
परिवार का परिचय
कविता का परिवार साधारण मध्यमवर्गीय था। उसके पिता एक स्कूल टीचर थे और मां गृहिणी। वे कविता की कामयाबी पर गर्व महसूस करते थे, लेकिन वे भी जानते थे कि मुंबई में अकेले रहकर काम करना आसान नहीं था। कविता हर वीकेंड अपने माता-पिता से फोन पर बात करती और उन्हें अपने काम की बातें बताती।
दूसरी ओर, कार्तिक का परिवार काफी संपन्न था। उसके पिता एक बड़े बिजनेसमैन थे और मां एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता। हालांकि, कार्तिक अपने काम में इतना व्यस्त रहता था कि वह परिवार के साथ बहुत कम समय बिता पाता था।
एहसास
एक शाम, जब कार्तिक ने देखा कि कविता ऑफिस में देर रात तक काम कर रही थी, उसने उससे कहा, “इतनी मेहनत क्यों कर रही हो? कल सुबह भी कर सकती हो।”
कविता ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह प्रोजेक्ट मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैं इसे समय पर पूरा करना चाहती हूं।”
कार्तिक ने पहली बार कविता की मुस्कान को ध्यान से देखा। उसकी आंखों में कुछ अलग सा चमकता हुआ दिखा। वह कुछ देर के लिए उसे देखता रहा और फिर उसे घर जाने के लिए कहा।
लेकिन उस रात, कार्तिक को नींद नहीं आई। उसे एहसास हुआ कि कविता के प्रति उसके अंदर कुछ बदल रहा था। यह सिर्फ प्रोफेशनल अट्रैक्शन नहीं था। यह उससे कहीं अधिक था।
कबूल
कुछ हफ्ते बाद, कंपनी का एक बड़ा इवेंट था, जहां सभी कर्मचारी और उनके परिवार शामिल होने वाले थे। कार्तिक ने सोचा कि यह सही मौका होगा जब वह कविता को अपने दिल की बात कह सके।
इवेंट की रात, कार्तिक ने कविता को एकांत में बुलाया और कहा, “कविता, मैं तुम्हें कुछ कहना चाहता हूं। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरे जीवन में ऐसा कोई आएगा जो मेरे दिल को छू लेगा। लेकिन तुम्हारी सादगी और मेहनत ने मुझे बहुत प्रभावित किया है। मुझे लगता है कि मैं तुम्हारे प्रति कुछ खास महसूस करने लगा हूं।”
कविता को यह सुनकर धक्का लगा, लेकिन वह जानती थी कि उसने भी कार्तिक के लिए कुछ महसूस किया था। उसने धीमी आवाज में कहा, “मुझे भी ऐसा ही लगता है। लेकिन हमें अपने प्रोफेशनल रिश्ते को भी संभालना होगा।”
कार्तिक ने मुस्कुराते हुए कहा, “हम दोनों समझदार हैं। हम दोनों इसे संभाल सकते हैं।”
नई शुरुआत
कविता और कार्तिक के बीच अब न सिर्फ प्रोफेशनल, बल्कि एक गहरा भावनात्मक संबंध भी बन चुका था। उन्होंने एक दूसरे के साथ वक्त बिताना शुरू किया, और धीरे-धीरे उनके रिश्ते की खबरें ऑफिस में भी फैलने लगीं।
हालांकि, दोनों ने अपने काम और रिश्ते को अलग-अलग रखना सीख लिया था। वे दोनों एक-दूसरे के प्रति समर्पित थे और जानते थे कि उनका प्यार उनके करियर को प्रभावित नहीं करेगा।
कुछ महीनों बाद, कविता और कार्तिक ने अपने परिवारों को भी इस रिश्ते के बारे में बताया। शुरू में दोनों के परिवार थोड़े चिंतित थे, लेकिन जब उन्होंने देखा कि दोनों एक-दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं, तो उन्होंने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया।
सुखद अंत
कविता और कार्तिक की प्रेम कहानी ने साबित कर दिया कि प्यार किसी भी सीमा में बंधा हुआ नहीं होता। चाहे वह बॉस और असिस्टेंट के बीच का रिश्ता हो, या किसी भी अन्य प्रोफेशनल बंधन, प्यार अपने रास्ते खुद बना लेता है।
आज, कविता और कार्तिक शादीशुदा हैं और मुंबई में खुशी-खुशी अपनी जिंदगी बिता रहे हैं। उनका रिश्ता उनकी मेहनत, समर्पण और सच्चे प्यार की मिसाल है।