स्वास्थ्य की बात करें तो, हृदय रोग और हृदय की असफलता दोनों ही गंभीर समस्याएं हैं जो लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, इन रोगों के लक्षणों को पहचानना और समय रहते उपचार करवाना महत्वपूर्ण है। यहां हम हृदय रोग और हृदय की असफलता के बारे में चर्चा करेंगे और इनके लक्षणों को पहचानने के बारे में जानेंगे।
हृदय रोग (Heart Disease):
हृदय रोग वह समस्या है जो हमारे हृदय या उसके आसपास के अंगों में किसी प्रकार की असामान्यता को दर्शाती है। इसमें अधिकांश मामलों में धमनियों के ब्लॉकेज, हृदय अटैक, और रक्तनिकासी की समस्याएं शामिल होती हैं। हालांकि, हृदय रोग के कई प्रकार हो सकते हैं और इसके लक्षण भी विभिन्न हो सकते हैं। हृदय रोग को हृदय से सम्बंधित विभिन्न समस्याओं, जैसे कि हृदय अटैक, हृदय कमी, कोरोनरी धमनियों की बीमारी, अरिथमिया (अनियमित दिल की धड़कन), और जन्मजात हृदय दोषों जैसे स्थितियों का एक छाता शब्द माना जा सकता है। हाल ही में, भारत में विभिन्न हृदय रोगों से पीड़ित रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, भारत में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी डेटा के अनुसार, 2022 में हृदय अटैक के मामलों में 12.5% की वृद्धि हुई थी। यह भारत में हृदय रोग के बढ़ते खतरे का संकेत करता है।
हृदय रोग के लक्षण:
- छाती में दर्द: हृदय रोग का एक प्रमुख लक्षण छाती में दर्द होता है, जो कभी-कभी बाएं हाथ, बाएं बाजू, गर्दन या जबड़े तक पहुंच सकता है। यह दर्द अक्सर जटिल और अनियमित होता है।
- सांस लेने में तकलीफ: हृदय रोग के मरीजों को सांस लेने में भी तकलीफ होती है, खासकर जब वे शारीरिक काम करते हैं या तनाव में होते हैं।
- दिल की धड़कन में असमानता: हृदय रोग के मरीजों में दिल की धड़कन में असमानता का अहसास हो सकता है, जैसे कि तेज धड़कन, अचानक धड़कन का बढ़ जाना, या धड़कन की धीमी होना।
- थकान: हृदय रोग के मरीजों में अक्सर बेहद थकान महसूस होती है, जो अनाप शनाप काम करने या शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने के बाद भी कम नहीं होती है।
- उल्टी: हृदय रोग के मरीजों को अक्सर उल्टी की समस्या होती है, जो खाने के बाद या बिना किसी कारण के हो सकती है।
- सिरदर्द: कई बार हृदय रोग के मरीजों को सिरदर्द की समस्या होती है, जो अक्सर आधा सिर में या गर्दन में महसूस होता है।
हृदय की असफलता (Heart Failure):
हृदय की असफलता एक गंभीर स्थिति है जो हृदय के सामान्य कामकाज को प्रभावित करती है। यह आमतौर पर हृदय की पंपिंग क्षमता कम होने के कारण होती है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है और असमय उपचार न होने पर जीवनदायी साबित हो सकती है।
एक हृदय अटैक, या मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, वार्ता के हिस्से की रक्त प्रवाह को ब्लॉक कर देता है, आमतौर पर एक रक्त थक्का द्वारा। इससे हृदय मांसपेशी को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से वंचित किया जाता है, जिससे ऊतक क्षतिग्रस्त या मर जाता है। लक्षणों में सीने में दर्द या असहजता, सांस की तकलीफ, मतली, चक्कर आना, और पसीना शामिल होता है। अगर त्वरित चिकित्सा सहायता नहीं मिलती है, तो और क्षति रोकने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
हृदय की असफलता के लक्षण:
- बालूगढ़ापन: हृदय की असफलता के मरीजों में पैरों और पैरों में बालूगढ़ापन का अहसास होता है।
- श्वास की तकलीफ: यह एक और आम लक्षण है, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है या वे तेजी से सांस लेने की कोशिश करते हैं।
- अत्यधिक थकान: हृदय की असफलता के मरीजों में अक्सर अत्यधिक थकान महसूस होती है, जो सामान्य गतिविधियों के लिए आम है।
- नियमित पेशाब: हृदय की असफलता के मरीजों को अक्सर रात में नियमित पेशाब की आवश्यकता होती है, जो असामान्य हो सकता है।
- पेट में सूजन: कुछ मरीजों को हृदय की असफलता के कारण पेट में सूजन की समस्या होती है।
- दिल की धड़कन में असमानता: धड़कन की असमानता भी हृदय की असफलता के लक्षण हो सकती है, जो धीरे-धीरे या अनियमित हो सकती है।
हृदय रोग का निदान करने के लिए परीक्षण
हृदय रोग का निदान करने के लिए परीक्षण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो रोगी के हृदय की स्वस्थता की जांच करने में मदद करती है। यह परीक्षण विभिन्न तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करके किया जाता है ताकि रोगी की स्थिति को समझा जा सके और उचित उपचार प्रारंभ किया जा सके।
हृदय रोग का निदान करने के लिए प्रमुख परीक्षण:
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ECG): यह एक आम परीक्षण है जो हृदय की गतिविधि को मापता है। ECG मशीन द्वारा मानक सामग्री पर इलेक्ट्रोड लगाकर हृदय की विभिन्न गतिविधियों को निरीक्षित किया जाता है। यह रोगी के हृदय के लिए विभिन्न समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है, जैसे कि दिल की धड़कन की असमानता, हृदय अटैक और अन्य रोगों के लक्षण।
- एकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography): यह परीक्षण हृदय की चित्रण गतिविधि का आकलन करता है। इसमें गेल्स और उल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग किया जाता है ताकि हृदय की संरचना, आकार, और कार्य की जांच की जा सके। इससे हृदय की विभिन्न समस्याओं जैसे कि अतिरिक्त धाराओं, वाल्व अवरोध, और दिल की मांसपेशियों की स्वस्थता का मूल्यांकन किया जा सकता है।
- तालिकाग्राफी (Holter Monitor): यह एक प्रकार का पोर्टेबल ECG मॉनिटर होता है जो रोगी के हृदय की गतिविधि को 24 घंटे तक निगरानी करता है। यह रोगी के दिनचर्या के दौरान हृदय की समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है जो अक्सर सामान्य ECG में नहीं देखा जा सकता है।
- तलस्तालन परीक्षण (Treadmill Test): यह परीक्षण रोगी के हृदय की क्षमता की जांच करने के लिए किया जाता है। रोगी को एक लाभांश या ट्रेडमिल पर चलने का निर्देश दिया जाता है और उनकी हृदय की गतिविधि को निगरानी किया जाता है। इस परीक्षण से व्यायाम के दौरान हृदय संबंधी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है जो शांत अवस्था में दिखाई नहीं देती हैं।
- कैथेटरीजेशन और अंगीकरण: यह उपकरण हृदय की धमनियों और धमनीयों की चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। इसमें एक कैथेटर को रोगी के हृदय की धमनियों के अंदर डाला जाता है ताकि हृदय की चिकित्सा की जा सके।
निर्देश:
यदि आपको इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण का सामना हो रहा है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। हार्ट डिजीज और हार्ट फेलियर के संकेतों को अनदेखा न करें, क्योंकि यदि समय रहते उपचार नहीं किया गया तो यह जीवनदायी साबित हो सकता है। नियमित चेकअप के लिए भी अपने डॉक्टर से परामर्श करें और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें।
आपके ह्रदय की देखभाल करने से आप स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं। ध्यान रखें, स्वस्थ रहें, स्वस्थ रहें।