बेहट वासियो के अनुसार अबा जलाने से पहले काशी बाबा की पूजा की जाती है। कहते है काशी बाबा ग्वालियर के पास बैहट गांव के रहने वाले थे जब वे बालक ही थे तब उनके माता पिता उन्हें गाय चराने भेजते थे वे भी पास के पहाड़ पर गाय ले जाते थे। वहाँ एक सिद्व बाबा की गुफा थी। वे सिद्व बाबा की बहुत सेवा करते थे और धीरे धीरे उनका रुझान भगवान की भक्ति में बढ़ता गया। वे रोज सिद्व बाबा के पास बैठकर भगवान का भजन करते रहते। एक दिन गाय चरते चरते एक ठाकुर के खेत में चले गये और ठाकुर का खेत चर गये। इससे ठाकुर साहब बहुत गुस्सा हो गये और उन्होने गायों को कांजी हाउस मे बन्द करवा दिया और काशी बाबा के माता पिता को गालियां सुनाई सो अलग। जब काशी बाबा घर लौट कर आये तो उनकी मां ने उन्हें डांटा की तुम न जाने कैसे गाय चराते हो जो किसी के खेत में घुस जाते हैं और हमे गालियां सुननी पड़ती है। इस पर काशी बाबा ने कहा अगर ठाकुर साहब ने गायों को मारा तो वे भी जरुर मर जायेंगे। इस शाप के लगने से ठाकुर मर गया पर बाद में काशी बाबा को बहुत पछतावा हुआ और उनहोंने बेहट गांव के पास झिलमिल तालाब के किनारे जीवित ही समाधि ले ली।
बताते है कि इसके अनेक सालों बाद एक बार ग्वालियर के माधौ महाराज (माघवराव सिन्धिया) उधर से शिकार खेलने निकले तो उनकी गाड़ी इस समधी स्थल पर से निकली तो वहां अड़कर रह गई। वह किसी भी प्रकार खींचने पर आगे नहीं बढ़ी। इस पर महाराज ने गांव वालों से पूछा कि भाई यहां क्या बात है जो हमारी गाड़ी आगे नहीं निकलती, इस पर गांव वालों ने बताया कि हुजुर यहां एक सिद्व बाबा ने समाधि ले ली थी, वो जात का प्रजापत कुम्हार और नाम से काशी बाबा कहलाता था। तब माधौ महाराज ने कहा कि देखो भाई काशी बाबा यदि तू सच्चा हो तो हमारी गाड़ी निकल जाने दे, हम तेरी पक्की समाधी स्थाल बनवा देंगे। कहते है इसके बाद राजा की गाड़ी आसानी से निकल गई और बाद में माधवराव सिन्धिया ने वहां पक्का मन्दिर बनावा दिया। जो आज भी मौजूद है और यहां हर साल फागुन की पंचमी को मेला लगता है। आस पास के सारे कुम्हार यहां होली की तीज को ही पहुंच जाते है, चौथ को सामूहिक गोट (भोज) होती है पंचमी को रंग होता है और छठ को सभी वापस लौट जाते हैं। कुम्हार काशी बाबा को अपना रक्षक देवाता मानते है, अबा को सुरक्षित पकाने मे काशी बाबा मदद करते है। इनकी पूजा देसी घी के पुए चढ़ाकर की जाती है। यहां आगरा, धौलपुर, शिवपुरी तक के कुम्हार आते हैं।
प्रशिद्ध श्री श्री 1008 काशी बाबा मंदिर KASHI BABA
कुछ ज्यादा प्रशिद्ध प्रातः एवं सांध्य स्मरणीय श्री श्री 1008 श्री काशी बाबा महाराज पूजा स्थल श्री काशी बाबा मंदिर पगारा रोड जोरा वार्ड क्रमांक 18 ब्लॉक पुरा जोरा जिला मुरैना मध्य प्रदेश मैं स्थित है उक्त मंदिर के भक्त परम पूज्य आदरणीय श्री सोबरन सिंह प्रजापति भगत जी द्वारा अपनी निजी संपत्ति एवं भक्त गणों के द्वारा दान दी गई राशि से वर्ष 1980 में तैयार कराया गया वर्तमान में जो फोटो आपको देखने में आया है उसको सन 2002 में पुनः मंदिर का जीर्णोद्धार करा कर तैयार किया गया है आज उपरोक्त मंदिर हम जैसे बहुत से भक्त गणों के लिए दर्शनीय एवं पूजनीय है। हर महीने आज भी अमावस्या से 1 दिन पूर्व चौदस (अर्ध १४ ) के दिन बाबा महाराज की चौकी (जात) लगाती है और बाबा महाराज के द्वारा अपने दीन दुखी भक्तों के दुख दूर किए जाते हैं। यहाँ पर लोग बड़ी दूर-दूर से आते है।
काशी बाबा कविता (STATUS FOR KASHI BABA)
काशी बाबा मंदिर के मार्गदर्शन
अगर आप ऐसे तीर्थ स्थल पर नहीं गए तो में चाहता कि आप वह एक जरूर घूम कर आये आपका प्रस्सन हो जायेग। आप इंटरनेट पर इनकी भक्ति के भजन भी सुन सकते है कुछ भजन में आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।
Kasi Baba Gwalior Behat Gunjna, Madhya Pradesh 475002
Kashi Baba Mandir, Ward No.18, Joura, Madhya Pradesh 476221
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मैं आशा करता हूँ श्री श्री काशी बाबा महाराज का विशेष आशीर्वाद आप सब पर यूँही बना रहे और आप साधा खुश रहे है। अगर आपको यह पढ़कर अच्छा लगा तो इससे और लोगो को साझा करे इसके अलावा आपको कुछ अतरिक्त इसमें कुछ और जुड़वाना है। तो हमे कमेंट बॉक्स में मैसेज करे। और अंततः मैं आपको धन्यवाद करता हूँ इसे पड़ने के लिए
काशी बाबा के Bhajan सुनने के लिए यह क्लिक करे >> KASHI BABA BHAJAN
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Meet Johnathan Trot, the creative force behind engaging content online. As a CTO, he blends tech expertise with a passion for storytelling. With a knack for simplifying complex concepts, Johnathan crafts content that captivates audiences. Join him on a journey where innovation meets simplicity, making tech accessible and enjoyable for all.
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