लॉरेंस बिश्नोई का केस: उत्तर भारत के गैंगस्टरों की कहानी

Lawrence Bishnoi north india gangster

The Lawrence Bishnoi Case | Gangs of North India

नमस्कार दोस्तों, उत्तर भारत में गैंग्स और गैंगवार की दुनिया बहुत ही खतरनाक और जटिल है। यह कहानी दो नामों के बीच छुपी है – अनिल बिश्नोई और लॉरेंस बिश्नोई। जहां एक तरफ अनिल बिश्नोई जैसे लोग पर्यावरण और वाइल्डलाइफ संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लॉरेंस बिश्नोई जैसा गैंगस्टर हिंसा और अपराध की दुनिया में अपना नाम बना चुका है। यह लेख लॉरेंस बिश्नोई के मामलों और उसके गैंग की दुनिया के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करेगा।

उत्तर भारत की गैंगस्टर दुनिया पिछले कुछ सालों में सुर्ख़ियों में रही है। कई बड़े और सनसनीखेज मामले सामने आए हैं, जो समाज में खौफ पैदा करने के साथ ही कानून व्यवस्था को चुनौती देते रहे हैं। इन मामलों में से सबसे चर्चित नाम है – लॉरेंस बिश्नोई। लॉरेंस बिश्नोई गैंग के अपराधों ने न केवल पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बल्कि पूरे भारत में सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। इस लेख में हम जानेंगे कि लॉरेंस बिश्नोई कौन है, उसकी गैंग की पृष्ठभूमि क्या है, और कैसे इस गैंगस्टर का नाम उत्तर भारत के सबसे खतरनाक अपराधियों में गिना जाता है।

अनिल बिश्नोई: पर्यावरण के लिए संघर्ष

लॉरेंस बिश्नोई का नाम सुनते ही कई लोग उसे एक गैंगस्टर के रूप में पहचानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि बिश्नोई समुदाय के लोग जंगलों और जानवरों की रक्षा के लिए प्रसिद्ध हैं। इस समुदाय के एक सदस्य, अनिल बिश्नोई ने राजस्थान के लक्सर गांव में ब्लैक बक जैसे जानवरों को बचाने के लिए अद्भुत कार्य किए हैं।

अनिल का यह संघर्ष बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्हें शिकारियों से लड़ने के लिए कई बार अपनी जान भी जोखिम में डालनी पड़ी। उन्होंने अपनी पूरी टीम बनाई, गांववालों को जागरूक किया और काले हिरणों और चिंकारा हिरणों की रक्षा के लिए कार्य किया। अनिल ने 3000 लोगों की एक टीम बनाई और अब तक 10,000 से अधिक हिरणों को शिकारियों के हाथों मरने से बचाया है। राजस्थान सरकार ने उन्हें अमृता देवी एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन अवार्ड से सम्मानित किया है।

बात करें काले हिरणों के संरक्षण की, तो एक तरफ है राजस्थान के अनिल बिश्नोई, जो काले हिरणों के शिकार को रोकने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालते हैं। अनिल बिश्नोई ने अपनी पूरी जिंदगी इस मिशन को समर्पित कर दी है। एक साधारण किसान होने के बावजूद उन्होंने अपने गांव और आसपास के इलाकों में करीब 3000 लोगों की टीम बनाई है और हजारों काले हिरणों की जान बचाई है। वह न सिर्फ शिकारीयों को पकड़ने का काम करते हैं, बल्कि जंगलों में पानी के पोखर भी बनवाते हैं ताकि जानवरों को पीने के लिए पानी मिल सके। उनके द्वारा उठाए गए कदमों से न केवल स्थानीय समुदाय बल्कि सरकारी स्तर पर भी उनके योगदान को सराहा गया है।

लेकिन दूसरी तरफ, वही राजस्थान, वह राज्य जहां काले हिरणों के लिए यह संघर्ष हो रहा है, वहीं पर लॉरेंस बिश्नोई का नाम उभरता है। लॉरेंस बिश्नोई पर काले हिरणों के शिकार से लेकर अन्य कई अपराधों के आरोप हैं। यह कहानी जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही खतरनाक भी है, क्योंकि एक तरफ जहां अनिल बिश्नोई जैसे लोग जीवों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ लॉरेंस जैसे लोग उनकी हत्या करके अपनी गैंग की ताकत बढ़ा रहे हैं।

अनिल बिश्नोई:

लॉरेंस बिश्नोई: गैंगस्टर की दुनिया

अब बात करते हैं लॉरेंस बिश्नोई की। जिस समय एक तरफ अनिल बिश्नोई अपने गांव और समुदाय के लिए काम कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर लॉरेंस बिश्नोई ने अपराध की दुनिया में अपने कदम बढ़ाए। लॉरेंस बिश्नोई का नाम एक गैंगस्टर के रूप में लिया जाता है, जो विभिन्न राज्यों में अपनी गैंग की गतिविधियों के लिए जाना जाता है।

लॉरेंस का जन्म पंजाब में हुआ था और उसने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ में की। कॉलेज के दिनों में ही वह स्टूडेंट पॉलिटिक्स से जुड़ा और जल्द ही अपराध की दुनिया में घुस गया। अपनी जिंदगी के पहले संघर्ष में ही उसने चुनावी राजनीति में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। जब एक चुनावी विवाद ने उसे जेल भेजा, तो उसे एक नई दुनिया से परिचित कराया। जेल में रहते हुए उसने अपनी गैंग बनाई, और जल्द ही वह एक बड़े गैंगस्टर के रूप में उभर कर सामने आया।

लॉरेंस बिश्नोई के खिलाफ कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें हत्या, जबरन वसूली, ड्रग तस्करी और भूमि हड़पने जैसे अपराध शामिल हैं। उसकी गैंग के लोग पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, और हरियाणा जैसे राज्यों में सक्रिय हैं।

Lawrence Bishnoi north india gangster

गैंगस्टर्स की दुनिया: संघर्ष और हिंसा

लॉरेंस और उसके गैंग के सदस्य अपराध की दुनिया में अपना नाम बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसका उदाहरण है दविंदर बंबीहा का मर्डर, जो एक बड़े गैंगस्टर था और लॉरेंस के लिए एक बड़ा दुश्मन था। दोनों के बीच की राइवलरी और हफ्ता वसूली की लड़ाई ने कई निर्दोष लोगों की जान ले ली।

गैंगस्टरों के बीच की लड़ाई में अक्सर निर्दोष लोग फंस जाते हैं। जैसे कि लॉरेंस बिश्नोई और दविंदर बंबीहा के बीच हफ्ता वसूली को लेकर टकराव था। बंबीहा की गैंग पंजाब, चंडीगढ़ और मोहाली में व्यापारियों से धमकी देकर पैसे वसूलती थी। जब लॉरेंस ने इसी रैकेट को तोड़ने की कोशिश की, तो इन दोनों गैंग्स के बीच कई शूटआउट हुए।

इसका सबसे खतरनाक परिणाम तब आया जब दविंदर बंबीहा पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। गैंगस्टर की मौत के बाद भी उसकी गैंग से जुड़े लोग अपनी गतिविधियों में संलिप्त थे। लॉरेंस और बंबीहा की गैंग के बीच हिंसा का सिलसिला जारी था, और बंबीहा की मौत के बाद बंबीहा के करीबी लोग फिर से सक्रिय हो गए।

गैंगस्टर्स का जीवन: छुपकर जीना

लॉरेंस बिश्नोई या फिर दविंदर बंबीहा जैसे गैंगस्टर्स का जीवन एक खतरनाक खेल है। उनके पास पैसा, शक्ति, और लग्जरी जीवन हो सकता है, लेकिन उन्हें हमेशा डर और अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। एक गैंगस्टर की जिंदगी कभी सामान्य नहीं होती। उसे हर वक्त यह डर रहता है कि कहीं पुलिस उसे पकड़ न ले, या फिर उसके विरोधी गैंग के लोग उसे मार डालें। गैंगवार, पुलिस एनकाउंटर, और जेल की सजा इन गैंगस्टर्स की जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं।

हालांकि ये गैंगस्टर अपने करियर में बहुत पैसा कमाते हैं, लेकिन वे कभी भी आराम से नहीं जी पाते। छुपकर रहना, पहचान छुपाना, और किसी भी समय मौत का सामना करना इनकी रोज की जिंदगी है। ये लोग एक खुशहाल जीवन जीने की बजाय हमेशा डर और आतंक में रहते हैं।

गैंगस्टर्स की राइवलरी: शिकार और मर्डर

लॉरेंस बिश्नोई और उसकी गैंग की राइवलरी में हमेशा नए नाम जुड़ते जाते हैं। जैसे कि अंकित बहादुर, जिनका मर्डर 2019 में कर दिया गया। उनके बाद उनकी गैंग को संभालने वाले गोल्डी बराड़ को भी मार दिया गया। इसी तरह से एक और गैंगस्टर, जितेंद्र गोगी, जो लॉरेंस के गैंग से जुड़ा था, उसकी भी हत्या कर दी गई। इन गैंगस्टर्स के बीच की राइवलरी और मर्डर की घटनाएं हर दिन नई खबरों के रूप में सामने आती हैं।

गैंगस्टर्स के बीच की राइवलरी न केवल इनकी जिंदगी के लिए खतरनाक होती है, बल्कि आम लोगों के लिए भी यह बहुत भयंकर परिणाम लेकर आती है। इन गैंग्स के बीच की हिंसा में हमेशा निर्दोष लोग मारे जाते हैं, जो इन अपराधियों की दुनिया से अनजान होते हैं।

नतीजा: क्राइम की दुनिया का अंधकार

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसकी गैंग के खिलाफ चल रही न्यायिक प्रक्रिया यह साबित करती है कि अपराध की दुनिया में किसी का भी अंत सुखद नहीं होता। जेल, मौत, और समाज से बहिष्कार इन गैंगस्टर्स का इंतजार कर रहा है।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हर अपराधी की दुनिया में हिंसा और खौफ है। अपराधियों के बीच की राइवलरी से न केवल उनके परिवार, बल्कि समाज भी प्रभावित होता है। इसलिए हमें अपनी युवावस्था को सकारात्मक दिशा में लगाना चाहिए, ताकि हम क्राइम की दुनिया में कदम न रखें।

बिश्नोई समाज से जुड़ी एक दिलचस्प शुरुआत

पहले हम थोड़ी देर के लिए अनिल बिश्नोई की कहानी की ओर रुख करते हैं, क्योंकि यह कहानी एक विचित्र तरीके से जुड़ी हुई है लॉरेंस बिश्नोई की कहानी से। अनिल बिश्नोई राजस्थान के लक्सर गांव के रहने वाले एक किसान हैं, जिनका जीवन पहले से ही प्रकृति और वन्यजीवों से जुड़ा हुआ था। उनका उद्देश्य था काले हिरणों की रक्षा करना, जिन्हें शिकारियों से बचाने के लिए वह अक्सर अपनी जान जोखिम में डालते थे। अनिल ने करीब 3000 से ज्यादा लोगों को इकट्ठा किया और राजस्थान के 12 जिलों में काले हिरणों और चिंकारा हिरणों को बचाया। उनका संघर्ष आज भी लोगों के दिलों में ताजातरीन है, और उन्हें राजस्थान सरकार ने अमृता देवी एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन अवार्ड से सम्मानित भी किया।

लेकिन यहां कहानी दिलचस्प मोड़ लेती है, क्योंकि जब हम लॉरेंस बिश्नोई की बात करते हैं, तो हम देखते हैं कि यह व्यक्ति उस ‘बिश्नोई’ समुदाय से ताल्लुक रखते हुए भी एक पूरी तरह अलग रास्ते पर चल पड़ा।

लॉरेंस बिश्नोई का गैंगस्टर बनने का सफर

लॉरेंस बिश्नोई का जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव में हुआ था। स्कूल और कॉलेज के दिनों में उन्होंने राजनीति में रुचि दिखानी शुरू की। चंडीगढ़ कॉलेज से अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद लॉरेंस ने स्टूडेंट पॉलिटिक्स में कदम रखा। उनकी राजनीति में भागीदारी जल्द ही आपराधिक गतिविधियों से जुड़ गई, और यही वह समय था जब उन्होंने अपराध की दुनिया में कदम रखा।

साल 2010 में लॉरेंस ने पंजाब यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन की प्रेसिडेंट पोस्ट के लिए चुनाव लड़ा। चुनाव हारने के बाद, उसने अपने प्रतिद्वंद्वी को जान से मारने की साजिश रची और इस पर एक केस भी दर्ज हुआ। इस दौरान जेल जाने के बाद, उसने हथियारों के सप्लायर से मुलाकात की और इसके बाद अपराध की दुनिया में कदम रखा।

लॉरेंस की जेल से बाहर आने के बाद की ज़िंदगी ने उसे और भी खतरनाक बना दिया। वह 2011 में पुनः चुनाव में उतरा और जीत हासिल की। इसके बाद 2012 तक लॉरेंस पर 18 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके थे। लेकिन इन सबके बावजूद वह अपनी पोजीशन को मजबूत करता चला गया।

गैंग के अंदर की राजनीति और मर्डर की साजिश

लॉरेंस बिश्नोई के गैंग के बारे में जो बात सबसे ज्यादा डरावनी है, वह है उनके आपसी विवादों में मर्डर और एक्सटॉर्शन की घटनाएं। 2016 में लॉरेंस ने गोल्डी बराड़ और संदीप उर्फ काला जठे के साथ मिलकर गैंग को चलाया, लेकिन बाद में इन दोनों के बीच विवाद हो गया। पुलिस का कहना है कि जब ये साथ थे, तो इन्होंने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में 30 से ज्यादा मर्डर किए। इन मर्डर्स के पीछे कारण सिर्फ पैसे का था।

लॉरेंस का पहला बड़ा शिकार था पंजाब का मशहूर गैंगस्टर दविंद्र बंबीहा, जिसकी हत्या उसकी आपसी गैंग राइवलरी के कारण हुई। दविंद्र बंबीहा गैंग, जो चंडीगढ़ और आसपास के इलाके में सक्रिय था, उसका मुख्य काम था ड्रग्स और हफ्ता वसूली करना। हालांकि, दविंद्र की हत्या के बाद, लॉरेंस और उसके गैंग के खिलाफ एक और मुसीबत खड़ी हुई। उन्होंने दविंद्र की मौत का बदला लेने की धमकी दी थी, और इस दौरान कई अन्य गैंगस्टर भी मार डाले गए थे।

गैंग के दूसरे सदस्य और पुलिस की कार्रवाई

लॉरेंस बिश्नोई का गैंग अब इतना बड़ा हो चुका था कि हर दिन कोई नया नाम सामने आ रहा था। उनके गैंग में अंकित बहादुर, जितेंद्र गोगी, सुब्बे गुर्जर, और आनंदपाल सिंह जैसे क्रिमिनल्स शामिल थे। इन सभी का मकसद हफ्ता वसूली, ड्रग्स का कारोबार और मर्डर करना था।

लॉरेंस के साथ जिन अपराधियों का नाम जुड़ा, उनमें से अधिकांश या तो मारे जा चुके हैं या फिर जेल में बंद हैं। इस गैंग के कई सदस्य पुलिस एनकाउंटरों में मारे गए, जैसे कि दविंद्र बंबीहा, अंकित बहादुर और जितेंद्र गोगी।

इन गैंगस्टरों की जिंदगियों की सच्चाई यही है कि यह कभी भी समाज में एक सम्मानजनक जीवन नहीं जी सकते। जेल में होने के बावजूद, ये गैंग अपने आपराधिक धंधों को जारी रखते हैं। लॉरेंस और उसके साथी पुलिस से छिपकर रहते हैं, क्योंकि कभी भी किसी अन्य गैंग के सदस्य द्वारा उनकी हत्या हो सकती है।

लॉरेंस बिश्नोई की आपराधिक गतिविधियाँ

लॉरेंस का नाम अब बड़े-बड़े अपराधों से जुड़ चुका है। आज तक उसके खिलाफ 84 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें हत्या, मर्डर, हफ्ता वसूली, ड्रग तस्करी, और पुलिस एनकाउंटर शामिल हैं। विशेष रूप से, लॉरेंस और उसके गैंग के सदस्य हफ्ता वसूली के मामलों में शामिल रहे हैं, जहां वे व्यवसायियों, दुकानदारों, और म्यूजिक इंडस्ट्री के लोगों से पैसे वसूलते थे। इसके अलावा, गैंगवार और इंटर गैंग राइवलरी की वजह से कई मर्डर्स और शूटआउट्स भी हुए हैं। एक उदाहरण देखें—दविंदर बंबीहा और लॉरेंस की दुश्मनी का। यह दोनों गैंग्स एक दूसरे के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे, जिसके परिणामस्वरूप कई निर्दोष लोग अपनी जान गंवा चुके थे।

लॉरेंस की गैंग के लिए एक और खूनी लड़ाई थी—विक्की मिधु खेड़ा की हत्या। यह हत्या उस समय की गई जब वह लॉरेंस के करीबी था। उसकी हत्या के बाद लॉरेंस की गैंग ने अपने दूसरे विरोधियों को निशाना बनाना शुरू किया। इन गैंग्स में अपनी जगह बनाने के लिए लगातार लड़ाई चलती रही और हर किसी का मकसद सिर्फ एक था—धन और ताकत।

सिद्धू मूसेवाला की हत्या और चर्चाओं का केंद्र

लॉरेंस बिश्नोई का नाम सिद्धू मूसेवाला की हत्या से खासा जुड़ा। मशहूर पंजाबी सिंगर मूसेवाला की हत्या ने न सिर्फ पंजाब, बल्कि पूरे देश में बिश्नोई के नेटवर्क की ताकत को उजागर किया। पुलिस के अनुसार, बिश्नोई ने अपने गैंग के सदस्यों को इस हत्याकांड के लिए निर्देश दिए थे। यह घटना पुलिस और जनता दोनों के लिए एक चेतावनी बन गई कि बिश्नोई के इरादे बेहद गंभीर और खतरनाक हैं।

सिद्धू मूसेवाला की हत्या और चर्चाओं का केंद्र

बॉलीवुड स्टार सलमान खान को धमकी

लॉरेंस बिश्नोई ने बॉलीवुड के मशहूर एक्टर सलमान खान को भी जान से मारने की धमकी दी थी। यह धमकी बिश्नोई द्वारा इसलिए दी गई थी क्योंकि 1998 में सलमान खान पर काले हिरण के शिकार का आरोप था, जो कि बिश्नोई समुदाय के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। इस घटना के बाद बिश्नोई गैंग का नाम राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया।

समाज के लिए संदेश

लॉरेंस बिश्नोई का केस सिर्फ एक अपराधी की कहानी नहीं है; यह समाज के लिए एक सख्त संदेश है कि युवाओं को सही दिशा में कैसे रखा जाए। शिक्षा, रोजगार और सही मार्गदर्शन के अभाव में युवाओं के एक बड़े वर्ग का ऐसे गिरोहों की तरफ बढ़ना खतरनाक संकेत है। समाज, परिवार और सरकार का कर्तव्य बनता है कि वे इस दिशा में कदम उठाएं और युवाओं को सही रास्ता दिखाएं।

आज की स्थिति और गैंगस्टर की ज़िंदगी

आज के समय में, लॉरेंस बिश्नोई और उसके गैंग के कई सदस्य जेल में हैं। उनकी ज़िंदगी एक शाही जेल की तरह बन चुकी है, लेकिन वह हर समय पुलिस एनकाउंटर का डर महसूस करते हैं। गैंग की राइवलरी, हफ्ता वसूली और खून-खराबे की घटनाओं ने इन अपराधियों की जिंदगी को एक गहरे अंधेरे में धकेल दिया है।

अगर हम इस कहानी से कुछ सीख सकते हैं, तो वह यह है कि अपराध और हिंसा का रास्ता कभी भी सम्मान और शांति का कारण नहीं बन सकता। यह अपराधी गैंगस्टर्स, चाहे वे किसी भी क्षेत्र से आएं, अंततः अपनी ही मौत के जाल में फंस जाते हैं।

इसलिए, एक सामान्य नागरिक के रूप में हमें इस कहानी से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि हिंसा और अपराध की दुनिया से दूर रहकर ही हम अपने और अपने समाज का भला कर सकते हैं।

आज लॉरेंस बिश्नोई का नाम न केवल अपराधी दुनिया में, बल्कि एक चेतावनी के रूप में लिया जाता है कि अगर कोई अपराध की दुनिया में कदम रखता है, तो उसका अंत हमेशा बुरा ही होता है।

अंत में, हम यह समझते हैं कि

किसी भी अपराधी की जिंदगी आखिरकार केवल खतरों से भरी होती है। चाहे वह लॉरेंस बिश्नोई हो या फिर उसके गैंग के अन्य सदस्य, इनकी जिंदगी में कोई शांति नहीं होती। इन्हें हर वक्त यह डर सताता है कि शायद अगला शिकार वे खुद हो जाएं। अपराध की दुनिया में हर किसी को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। आज अगर गैंगस्टर बनकर लोग अपनी ताकत का अहसास करते हैं, तो उन्हें यह समझना चाहिए कि उनकी जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं होता। उन्हें छुपकर जीने और अपने सबसे करीबी लोगों से भी डरने की स्थिति में रहना पड़ता है।

अंत में, हम यह कहना चाहते हैं कि एक सही रास्ते पर चलना ही बेहतर होता है। समाज में हर व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण है, और हमें यह समझना चाहिए कि अपराध कभी भी हमारे लिए खुशी या शांति नहीं ला सकता।

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Author

  • kavita Sharma

    मैं कविता शर्मा एक पेशेवर लेखिका हूँ, जो विभिन्न विषयों पर नवीनतम चर्चाओं और घटनाओं पर लेखन करती हूँ। मेरा लेखन सामाजिक मुद्दों, समसामयिक घटनाओं, और तकनीकी जानकारियों को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत करने पर केंद्रित है। मेरा उद्देश्य है कि मेरे लेखों के माध्यम से पाठकों को ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारी प्राप्त हो, जिससे वे जागरूक और सूचित रह सकें।

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